Prbhat kumar

Add To collaction

टूटा हूँ




टूटा हूँ इस कदर मैं,जुड़ा फिर कभी नहीं 
बिखरा पड़ा जमीं पे,आईना तो मैं नहीं 

माना कि रंजो गम,बहुत जीवन के राह में 
विचलित हो जाउँ पथ,से ऐसा तो मैं नहीं 

वादा था जिनका हम,कभी जायेंगे ना छोड़कर 
वो इस कदर जुदा हुए, हमको खबर नहीं 

पहली ही मुलाकात में,वो बात बहुत कर गये
उम्मीद से ज्यादा अब,उनपे ऐतबार तो नहीं 

चेहरे की मासूमियत में,वो घाव गहरा दे गये
उनकों दिल दे बैठा मैं,जो कभी अपना माना नही

देता हूँ बददुआ जिससे मिलों,कभी खुश ना हो तुम 
जो फूल खिलाऔ जीवन में,उसके हकदार तुम नही
             
               स्वरचित एवं मौलिक रचना 
               नाम :- प्रभात गौर 
               पता:- नेवादा जंघई 
                        प्रयागराज
                      (उत्तर प्रदेश)

   2
0 Comments